आजि आनंदु रे एकी परमानंदु रे । जया श्रुति नेति नेति ह्मणती गोविंदु रे | Aaji Anandu Re Eki Parama Nandu re | Jayaa Shruti Neti Neti Mhanati Govindu Re ॥
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आजि आनंदु रे एकी परमानंदु रे । जया श्रुति नेति नेति ह्मणती गोविंदु रे ॥1॥
विठोबाचीं वेडीं आह्मां आनंदु सदा । गाऊं नाचों वाऊं टाळी रंजवूं गोविंदा ॥ध्रु.॥
सदा सन सांत आह्मां नित्य दिवाळी । आनंदें निर्भर आमचा कैवारी बळी ॥2॥
तुका ह्मणे नाहीं जन्ममरणांचा धाक । संत सनकादिक तें आमचें कवतुक॥3॥
Aaji Anandu Re Eki Parama Nandu re | Jayaa Shruti Neti Neti Mhanati Govindu Re ॥1॥ Vithobachi Vedi Aamha Anandu Sada | Gavu Nachu Vaajavu Tali Ranjavu Govinda ॥2॥ Sada San Naahi Saant Amha Nitya Divali | Aanand Nirbhar Aamacha Kaivari Bali ॥3॥ Tuka Mhane Nahi Janma Maranacha Dhaak | Sant Sanakadik Te Aamache Kavatuk ॥4॥
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