आपुला तो एक देव करुनि घ्यावा । तेणेंवीण जीवा सुख नव्हे |Apulato Ek dev karuni ghyava| Tene vina Jiva Sukh Novhe
आपुला तो एक देव करुनि घ्यावा । तेणेंवीण जीवा सुख नव्हे ॥१॥
येर तीं माईकें दु:खाचीं जनिती । नाहीं आदि अंती अवसानीं ॥२॥
अविनाश करी आपुलिया ऎसें । लावीं मना पिसें गोविंदाचें ॥३॥
तुका म्हणॆ एका मरणॆंचि सरे । उत्तमचि उरे कीर्ति मागें ॥४॥
Apulato Ek dev karuni ghyava| Tene vina Jiva Sukh Novhe ॥१॥ Yer Ti Maike Dukhhachi Janiti | Nahi Aadi Anti Avasaani ॥2॥ Avinash Kari Aapuliya Aise | Laavi Mana Pise Govindache ॥3॥ Tukamhane Ek Maranechi Sare | Uttamachi Ure Kirti Maage॥4॥
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