कृपा करी पंढरीनाथा । दीनानाथ तूं समर्था | Krupa kari Pandharinatha | Dinanatha tu samrtha
कृपा करी पंढरीनाथा । दीनानाथ तूं समर्था ॥ १ ॥
अपराध करीं क्षमा । तुझा न कळे महिमा ॥ २ ॥
करीं भक्ताचा सांभाळु । अनाथाचा तूं कृपाळु ॥ ३ ॥
आम्ही बहुत अन्यायी । क्षमा करी विठाबाई ॥ ४ ॥
आलों पतीत शरण । पावन करीं नारायण ॥ ५ ॥
पापी अमंगळ थोर । कृपा करीं दासावर ॥ ६ ॥
मी तरी अवगुण बहुत । दयाकरीं पंढरीनाथ ॥ ७ ॥
दयासागरा अनंता । कृपा करीं पंढरिनाथा ॥ ८ ॥
तुझें नामामृत सार । नरहरि जपे निरंतर ॥ ९ ॥
Krupa kari Pandharinatha | Dinanatha tu samrtha ॥ १ ॥ Aparadh kari kshama | Tuza N Kale Mahima ॥ 2 ॥ Kari Bhaktacha Saambhalu | Anathacha Tu Krupalu ॥ 3 ॥ Aamhi Bahut Anyayi | kshama kari Vithabaai ॥ 4 ॥ Aalo Patit Sharan | Paavan Kari Narayan ॥ 5 ॥ Paapi Amangal Thor | Krupa Kari Dasavar ॥ 6 ॥ Mi tari Avagun bahut | dayakari Pandharinatha ॥ 7 ॥ Dayasagara Ananta | Krupa kari pandharinatha ॥ 8 ॥ Tuze Namaamrut Saar | Narahari Jape Nirantar ॥ 9 ॥
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