प्राण समर्पिला आम्ही । आतां उशीर कां स्वामी | Praan Samrpila mi aamhi | Ata Ushir ka Swami
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प्राण समर्पिला आम्ही । आतां उशीर कां स्वामी॥1॥
माझें फेडावें उसणें । भार न मना या ॠणें ॥ध्रु.॥
झाला कंठस्फोट। जवळी पातलों निकट ॥2॥
तुका ह्मणे सेवा । कैसी बरी वाटे देवा॥3॥
Praan Samrpila mi aamhi | Ata Ushir ka Swami ॥1॥ Maze Fedave usane | Bhar n manaa ya vrune ॥2॥ zala kanthsfot | javali patalo nikat ॥3॥ tuka mhane seva | kaisi bari vaate deva ॥4॥
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