शरीराची होय माती । कोणी न येती सांगाती | Sharirachi hoy mati | koni n yeti sangati
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शरीराची होय माती । कोणी न येती सांगाती ॥१॥
सारी अवघीं कामें खोटी । अंतीं जाणें मसणवटी ॥२॥
गोत घरें टाकुन सारी । शेवटीं गांवाचे बाहेरी ॥३॥
स्वजन आणि गणगोत । उपाय नाहीं हो चालत ॥४॥
ऐसें स्वप्नवत असार । नरहरी जोडितसे कर ॥५॥
Sharirachi hoy mati | koni n yeti sangati ॥१॥ Saari Avaghi Kame Khoti | Anti Jane Masanvaati ॥2॥ got ghare takun sari | Shevati Gavache Baheri ॥3॥ Svajan Aani Gangot | Upay Nahi Ho Chalat ॥4॥ Aise swapnvat asaar | Narahari Joditase kar ॥5॥
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