तुझ्या मुरलीची ध्वनी | अकल्पित पडली कानीं | Tuzya Muralichi dhwani | Akalpit Padali Kani |
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तुझ्या मुरलीची ध्वनी | अकल्पित पडली कानीं |
विव्हळ झालें अंत:करणी | मी घरधंदा विसरलें ॥१॥
अहा रे सांवळीया कैशी वाजविली मुरली ॥2॥
मुरली नोहे केवळ बाण | तिनें हरिला माझा प्राण |
संसार केला दाणादीन | येऊनि हृदयी संचरीली ॥3॥
तुझ्या मुरलीचा सूरतान | मी विसरलें देहभान |
घर सोडोनी धरिलें रान | मी वृंदावना गेलें ॥4॥
एका जनार्दनीं गोविंदा | पतितपावन परमानंदा |
तुझ्या नामाचा मज धंदा | वृत्ति तंव पदीं निवर्तली ॥5॥
Tuzya Muralichi dhwani | Akalpit Padali Kani | Vivhal zale Antakarni | Mi Ghar dhanda Visarale ॥१॥ Aha re savaliya Kaisi vaajavili murali ॥2॥ Murali navhe keval baan | Tine harila maza pran ॥ Sansar Kela Danadin | Yevuni hrudayi sancharili ॥3॥ Tuzya muralicha sur tan | Mi visarale dehbhan ॥ Ghar Sodoni Dharile Ran | Mi Vrundavana gele ॥4॥ Eka Janardani Govinda | Patitpavan Parama nanda ॥ Tuza Namacha Maj Dhanda | Vrutti Tav padi Nivartali ॥5॥
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