वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे । वेणुनादे गोवर्धनु गाजे | Vrundavani Venu Kavanacha Maaye Vaaje | Venu Nade Govardhanu Gaje
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वृंदावनी वेणु कवणाचा माये वाजे । वेणुनादे गोवर्धनु गाजे ॥१॥
पुच्छ पसरूनी मयूर विराजे । मज पाहता भासती यादवराजे ॥२॥
तृणचारा चरू विसरली । गाईव्याघ्र एके ठायी झाली ।
पक्षीकुळे निवांत राहिली । वैरभाव समूळ विसरली ॥३॥
यमुनाजळ स्थिरस्थिर वाहे । रविमंडळ चालता स्तब्ध होय ।
शेष कूर्म वराह चकीत राहे । बाळा स्तन देऊ विसरली माय ॥४॥
ध्वनी मंजूळ मंजूळ उमटती । बाकी रुणझुण रुणझुण वाजती ।
देव विमानी बैसोनी स्तुति गाती । भानुदासा पावली प्रेम-भक्ति ॥५॥
Vrundavani Venu Kavanacha Maaye Vaaje | Venu Nade Govardhanu Gaje ॥१॥ Puchha Pasaruni Mayur Viraje | Maja Pahata bhasati Yadav Raaje ॥2॥ Tun Chara Charu Visarali | Gai vyagra Eke Thai Zali | Pakshi Kule Nivant Rahili | Vair Bhav Samul Visarali ॥3॥ Dwani Manjul Manjul Vajati | Vanki RunZun RunZun Vajati | Dev Vimani Baisoni Stuti Gati | Bhanudasa Pavali Prem Bhakt ॥4॥
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